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इतना कहकर तोता बोला- हे महाराज! स्त्रियां ऐसी होती हैं! राजा ने उस स्त्री जयश्री का सिर मुंडवाकर, गधे पर बिठाकर, नगर में घुमवाया और शहर से निकाल किया.
कहानी सुनाकर बेताल बने रुद्रकिंकर ने विक्रम से कहा- राजन, स्त्री और पुरुष दोनों के संबंधों और उसमें खोट की कहानी आपने सुनी. दोनों एक से बढ कर एक हैं. ऐसे में तोते का दावा सही है या मैना का? स्त्री और पुरुष दोनों में ज्यादा पापी कौन है?
राजा विक्रमादित्य ने कहा- स्त्री ही अधिक पापिनी है. बेताल ने पूछा- सो कैसे? राजा ने कहा- पुरुष कितना ही परम दुष्ट क्यों न हो, व्याभिचार में पड़ने पर भी उसमें धर्म का थोड़ा-बहुत विचार रहता ही है. परंतु यदि स्त्री के मन में व्याभिचार आ जाए तो वह सभी सीमाएं लांघ जाती है. इसलिए वह अधिक पापिन है.
(भविष्य पुराण)
संकलन व संपादनः प्रभु शरणम्
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