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वहीं आंगन में पीपल का एक विशाल पेड़ था जयश्री ने समझा कि वह आँगन में पेड़ के चबूतरे पर सो रहा है. आंगन में खड़े उस विशाल पीपल के पेड़ की डाल पर एक पिशाच बैठा यह सब लीला देख रहा था.
पिशाच ने उस मरे युवक के शरीर में प्रवेश किया और जयश्री जैसे ही युवक को जगाने और चकित कर देने की सोच उसे चुंबन देने झुकी उसने उसकी नाक काट ली.
कुछ ही क्षणों बाद वह प्रेत फिर उस आदमी की देह से निकलकर पेड़ की डाल पर जा बैठा. जयश्री रोती हुई अपनी सहेली के पास चली गई. चिंता बताई कि अब करे तो क्या करे.
सहेली बहुत चतुर थी. उसने कहा कि तुम अपने पति के पास जाओ और इसका दोष उस पर लगा दो. उसने ऐसा ही किया. छुपते छुपाते जैसे आयी थी रात के अंधेरे में वैसे ही लौट गयी.
पति अभी भी थका हारा नींद में था. वह पहले तो उसके सिरहाने सावधानी से बैठ गयी और फिर सब कुछ समझ बूझ कर अचानक जोर-जोर से रोकर कहने लगी कि पति ने बिना कारण उसकी नाक काट दी.
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