जो सीढ़ियां ऊपर ले जाती हैं वही नीचे भी ला देती हैं. घर की सीढ़ियां वास्तु दोषमुक्त नहीं हैं तो घर के स्वामी के जीवन में उतार ही उतार होगा. उस परिवार को चढ़ाव के दिन देखने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ सकता है. जानेंगे सीढ़ियों के विषय में क्या कहता है वास्तुशास्त्र.


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सीढ़ियां तरक्की की भी होती हैं और पतन की भी. जीवन की सीढ़ियों की तरह ही वास्तुशास्त्र घर की सीढ़ियों को तरक्की से जोड़कर देखता है. इसलिए घर की सीढ़ियां वास्तुदोष से मुक्त होनी चाहिए. ऐसे घर में रहने वाले परिवार ही उन्नति करते हैं.  इस पोस्ट में सीढ़ियों के निर्माण के विषय में क्या कहता है वास्तुशास्त्र यह जानेंगे. यदि घर की सीढ़ियां बनाते समय वास्तुदोष रह गया तो भी उसे बिना तोड़-फोड़ किए दोषमुक्त किया जा सकता है. ये उपाय बहुत साधारण और बिना खर्च वाले हैं.  इनके बारे में जानेंगे.  सबसे पहले जानें कैसी सीढ़ियां वास्तुदोष से मुक्त मानी जाती हैं.

 

कैसी हो घर की सीढ़ियां-

घुमाव का रखें ध्यानः

सीढ़ियों का घुमाव किस ओर का है यह बहुत महत्व रखता है. यदि घर के स्वामी का बेडरूम ग्राऊंड फ्लोर पर है तो ऊपर जाने वाली सीढ़ियां घड़ी की दिशा में यानी क्लॉक्वाइज होनी चाहिए. कहने का अर्थ कि आपको ऊपर चढ़ते समय दाहिनी तरफ घूमते हुए चढ़ना चाहिए.

यदि बेडरूम ग्राउंड पर न होकर किसी अन्य फ्लोर पर है तो सीढ़ियां घड़ी की उलटी दिशा अर्थात एंटीक्लॉकवाइज घूमनी चाहिएं. सीढियां चढ़ते समय घुमाव बाईं ओर हो.

ज्यादा घुमावदार सीढ़ियां अच्छी नहीं मानी जातीं. बहुत से लोग सीढियों को गोल-गोल घुमती बनवाते हैं. यह वास्तु के हिसाब से ठीक नहीं है.

मुख्यद्वार के सामने न हों सीढ़ियांः

घर के अन्दर की सीढ़ियां मुख्यद्वार के ठीक सामने नहीं होनी चाहिए. यानी मुख्य द्वार खोलते ही सबसे पहले सीढ़ियां न हों. सीढ़ियां यदि घर के बाहर भी तो भी उन्हें प्रवेश द्वार के सामने से नहीं गुजरना चाहिए.

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सीढ़ियों की संख्या, लंबाई-चौड़ाईः

सीढियों में संख्या का भी ध्यान रखना चाहिए. सीढ़ियां हमेशा विषम संख्या 3, 5,7,9,11,13, 15 ऐसे होनी चाहिए.

सीढ़ियों की चौड़ाई और ऊंचाई का ध्यान रखना चाहिए. जो सीढ़ियां चढ़ने में लोगों को सरल लगें. जिस पर चढ़ने वाला सीढ़ियों की ऊंचाई की प्रशंसा करे वे सीढ़ियां उत्तम हैं. सीढियां प्रयोग करते समय जितनी आसानी होती है वास्तु के अनुसार उस घर में रहने वाले लोग संकटों से उतनी ही आसानी से निपटने में सक्षम होते हैं.

सीढ़ियों की ऊंचाई सात इंच तथा चौड़ाई दस इंच से एक फुट तक रखी जा सकती है. सुविधाजनक सीढ़ियां घर में धन और प्रगति के मार्ग खोलती हैं.

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सीढ़ी की दिशा-स्थानः

सीढ़ियां कभी भी घर उत्तर-पूर्व में नहीं बनवानी चाहिए. ऐसी सीढ़ियां घर में धनहानि, व्यापार में हानि, कर्ज और चोरी आदि को निमंत्रण देती हैं. संतान सुख भी प्रभावित होता है. यदि घर में सीढ़ियां उत्तर-पूर्व में बन गई हों तो वास्तुदोष दूर करने के लिए सीढ़ी के द्वार पर या सामने आदमकद दर्पण या कांच लगवाएं. छत पर नैर्ऋत्य दिशा में एक कमरा बना देना चाहिए. इस कमरे की ऊंचाई सीढियों के हेडरूम से कुछ ज्यादा होना चाहिए.

सीढ़ी में लाल रंग का प्रयोग करने से बचना चाहिए.

दक्षिण, पश्चिम या नैऋत्य में बनी सीढ़ियां सबसे अच्छी मानी जाती हैं. वास्तु अनुसार ये दिशायें भार वहन करने वाली दिशाएं हैं. सीढ़ियां भारी होती हैं इसलिए ये दिशाएं ही सर्वोत्तम हैं.

सीढ़ियों के प्रारम्भ और अन्त में दरवाजे अवश्य बनाने चाहिए.

सीढ़ियों के किनारे टूटे हुए नहीं होने चाहिए. ये वास्तुदोष को जन्म देते हैं. इनकी मरम्मत करवा लेनी चाहिए.

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सीढ़ियों के नीचे का स्थान का उपयोग कैसे होः

सीढ़ियों के नीचे की जगह को खाली भी नहीं रखना चाहिए. इसे किसी न किसी प्रकार प्रयोग में जरूर लाना चाहिए. सीढ़ियों के नीचे स्टोररूम बनाया जा सकता है.

सीढ़ियों के नीचे  बाथरूम, रसोई, या पूजाघर आदि न बनवाएं. गंभीर वास्तुदोष उत्पन्न होता है. घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है. ऐसे घर में धन की कमी रहती है. कितनी भी आमदनी हो बचत मुश्किल से होती है.

सीढ़ियों के नीचे मछलियों का एक्वेरियम या जल से जुड़ी कोई चीज नहीं रखना चाहिए. वास्तुशास्त्र अनुसार ऐसा करने से घर से शुभ का रिसाव हो जाता है. वह धीरे-धीरे करके निकलता जाता है. इससे घर के सदस्यों को आजीविका से जुड़ी बहुत सी समस्याओं का सामना करना पडता है.

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बीमारी और झगड़े का कारण बन जाती है ऐसी सीढ़ियांः

घर के बीचो-बीच सीढ़ियां न बनवाएं. वास्तु के अनुसार केन्द्र या ब्रह्मस्थान में  सीढ़ियां घर के सदस्यों के बीच का मेलभाव बिगाड़ती है. सदस्यों में मानसिक तनाव देखा जाता है.

घर की पहली सीढ़ी त्रिकोण आकार वाली या गोलाई लिए हुए न बनवाएं. सीढ़ियों का प्रवेश या अन्त किसी कमरे में नहीं होना चाहिए. ये सब वास्तुदोष माने जाते हैं.

सीढ़ियों जहां से शुरू होती हैं वहां या जहां खत्म होती हैं वहां, किसी रोगी को ना रखें. उसकी बीमारी ठीक होने की बजाय बढ़ती जाएगी. उसे किसी अन्य कमरे में शिफ्ट करें.

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घर में लिफ्टः

यदि घर में लिफ़्ट है तो उसे कभी नैऋत्य कोण में न लगाएं. नैऋत्य में खोखलापन वर्जित है. लिफ्ट दक्षिण, दक्षिण-पूर्व, पश्चिम या उत्तर-पश्चिम में लगाई जा सकती है.

बिना तोड़-फोड़ सुधारें सीढ़ियों का वास्तुदोषः

  • यदि घर की सीढ़ियां गलत स्थान में बन गई है जिससे वास्तुदोष हो रहा है तो घबराएं नहीं. उसे बिना तोड़-फोड़ किए भी सुधारा जा सकता है. किसी वास्तु विशेषज्ञ के परामर्श से स्टोन पिरामिड को स्थापित कर लें.
  • सीढ़ियों से जुड़ा कोई भी वास्तुदोष दूर करना है तो एक और उपाय है. मिट्टी के घड़े में बारिश का पानी भर लें. उस पर ढक्कन लगाकर जमीन के नीचे दबा दें.
  • यदि जल भरा कलश दबाना संभव नहीं तो एक और उपाय है. घर की छत पर मिट्टी के एक बर्तन में सतनाजा (अनाज) तथा दूसरे बर्तन में पानी भरकर पक्षियों के लिए रखें. इससे वास्तुदोष दूर होता है.
  • यदि घर का द्वार खोलते ही सामने सीढ़ी हो, तो सीढ़ी पर पर्दा लगा दें.

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  • तुलसी के समक्ष संध्याकाल में घी या तिल या कपूर से दीपक जलाने से समस्त वास्तु दोषों का नाश होता है. घी का दीपक सबसे अच्छा रहेगा.
  • घर के आसपास यदि कहीं दूब घास या दूर्वा उगी हो, तो उसे प्रतिदिन गणेशजी को चढ़ाएं. दूर्वा चढ़ाने से वास्तु दोष दूर होता है. दूर्वा कहीं उगा भी सकते हैं.
  • घर के उत्तरी भाग में धातु से बने कछुए की प्रतिमा रखने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह कम होता है और सुख शांति आती है.

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