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निषाद, अब शंगवेरपुर के राजा निषाद हो गए थे और निषादराज कहलाते थे. प्रभु को जब बनवास की सूचना उन्हें मिली तो वह भागे आए मिलने. भगवान और भक्त की भेंट की कथा तो सब जानते ही है.
भगवान की लीलाओं की कथा हमने कई बार सुनी होती है फिर भी बार-बार सुनने की इच्छा होती है. कभी मन नहीं भरता. यह भी प्रभु की ही लीला है. इस कड़ी को पूरा करने के लिए प्रभु श्रीराम और निषादराज के मिलन का प्रसंग भी जल्द सुनाउंगा.
संकलन व संपादनः प्रभु शरणम्
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