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इससे पहले कि कालकेतु कुछ समझकर सावधान हो पाता, एकबीर ने तलवार के भरपूर प्रहार से उसकी गर्दन ही उड़ा दी. राजा के मरते ही दैत्य सेना भाग खड़ी हुई. एकबीर की सेना ने उसका दूर तक पीछा करके बहुत संहार किया.

राज्य जीतने के बाद एकबीर ने एकावली को मुक्त कराया. यशोवती और एकावली को लेकर वह राजा रैभ्य के राज्य पहुंचा. राजा रैभ्य ने उसके पराक्रम की बात सुनी तो बहुत प्रसन्न हुए और एकावली के साथ एकबीर का विवाह करा दिया.

एकबीर और एकावली की संतान हुई जिसका नाम पड़ा कृतवीर्य. कृतवीर्य इतना पराक्रमी था कि इंद्र ने कई युद्धों में उसकी सहायता मांगी और स्वयं उसकी अगवानी करने आते थे.

इसी कृतवीर्य के पुत्र थे कार्तवीर्य अर्जुन जिसे सहस्त्रबाहु के नाम से भी जाना जाता है. उससे हैहय वंश शुरू हुआ जिसका नाश परशुराम ने किया था.

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