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एकवीर हरिवर्मा के बाद राजा बना. उसने शिवजी के वरदान के अनुसार प्रजापालन किया. वह सर्वश्रेष्ठ योद्धा, धर्मात्मा राजा और प्रजापालक था. एकवीर ने राजा रैभ्य की परम रूपवती पुत्री एकावली की कालकेतु दैत्य से रक्षा की थी.
उस संग्राम में दैत्यों का भारी विनाश हुआ था. यह कथा फिर कभी सुनाउंगा. (उपनिषद की कथा)
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