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कुछ ग्रंथों में रूद्राक्ष के सताईस प्रकार तक कहे गए हैं. अब जानते हैं किस मनोकामना की पूर्ति में कौन सा रूद्राक्ष सबसे उत्तम माना गया है.
एकमुखी रुद्राक्षः एकमुखी रुद्राक्ष उत्तम एवं पवित्र है, यह रुद्राक्ष भाग्यशाली को ही मिलता है. इसके दर्शन मात्र से ही पापों का नाश होता है.इसे धारण करने से सम्पूर्ण अनिष्ट दूर होकर सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
दोमुखी रुद्राक्षः दोमुखी रुद्राक्ष शिव-पार्वती का स्वरुप है. मन की एकाग्रता, मानसिक शांति, आध्यात्मिक शांति तथा कुण्डलिनी जाग्रत करने के लिए इसे धारण किया जाता है. एकमुखी रूद्राक्ष की ही तरह दोमुखी रुद्राक्ष भी अत्यंत दुर्लभ है.
तीनमुखी रुद्राक्षः तीनमुखी रुद्राक्ष अग्नि का स्वरुप है. इसे धारण करने से अगम्यागमन अर्थात परस्त्री गमन के पापों का निवारण होता है. घर में धन धान्य की वृद्धि होती है और ब्रह्महत्या जैसे घोर का पाप का शमन होता है.
चारमुखी रुद्राक्षः उच्च शिक्षा प्राप्ति में आने वाली बाधाओं के नाश में चारमुखी रुद्राक्ष धारण करने से बड़ा लाभ होता है. जिसकी स्मरण शक्ति कमजोर हो, बोलने में हकलाता हो या मंद बुद्धि हो उसे चारमुखी रुद्राक्ष पहना देना चाहिए. इससे उसके वाणी और बुद्धि के दोष दूर होते हैं.
पांचमुखी रुद्राक्षः पांचमुखी रुद्राक्ष कालाग्नि के समान रूद्र का ही स्वरुप है. पंचमुखी रुद्राक्ष परमेश्वर स्वरुप माना गया है और सर्वफलदायी है. यह सबके लिए सुलभ है तथा इसे सभी धारण कर सकते हैं. देखा जाए तो आज के युग में इस रूद्राक्ष को ही सबसे उत्तम मानना चाहिए. इसे धारण करने से सभी मनोकमानाएं पूरी होती हैं.
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छहमुखी रुद्राक्षः छहमुखी रुद्राक्ष कार्तिकेय का प्रतीक हैं. इसे बायीं भुजा में धारण करना चाहिए. धन-धान्य की प्राप्ति और रोजगार-व्यापार में सफलता दिलाता है. छहमुखी रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति विद्वान होता है. इसे मनुष्य की छह प्रकार की बुराइयों- काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, और मत्सर को नष्ट करने वाला कहा जाता है. हिस्टीरिया, मूर्छा आदि रोगों में यह आश्चर्यजनक रूप से लाभदायी है.
सातमुखी रुद्राक्षः सात मुखी रुद्राक्ष नौकरी एवं व्यवसाय में उन्नति दिलाने वाला और धनदायक माना गया है. इसे धारण करने से व्यक्ति निरोग होता है.
आठमुखी रुद्राक्षः अष्टमुखी रुद्राक्ष कालभैरव एवं गणेशजी का स्वरुप है. इसे धारण करने वाले से शत्रु भी भय खाते हैं और वश में हो जाते हैं. यह रुद्राक्ष ऋद्धि -सिद्धि और लक्ष्मी प्रदान करता है.कोर्ट-कचहरी के मामलों में भी इसे धारण करने से सफलता मिलती है. यह साहस प्रदान करता है. दुर्घटनाओं से रक्षा होती है, भूत-प्रेत की बाधाएं मिटती हैं.
नौमुखी रुद्राक्षः नौमुखी रुद्राक्ष को दायीं भुजा में धारण करने वाले पुरुष को यम का भी भय नहीं होता.
दसमुखी रुद्राक्षः दसमुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला कभी शत्रु से परास्त नहीं हो सकता. ग्रह बाधा मिटती हैं, मारण, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण आदि प्रयोग निष्फल हो जाते हैं.
ग्यारहमुखी रुद्राक्षः ग्यारहमुखी रुद्राक्ष धारण करने का फल एकादशी व्रत करने के फल जैसा है. बांझ स्त्री श्रद्धा एवं विश्वासपूर्वक धारण करे तो वह संतानवती होती है. शिखा में ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से अश्वमेध यज्ञ एवं वाजपेय यज्ञ समान पुण्य होता है.
बारहमुखी रुद्राक्षः बारहमुखी रुद्राक्ष चोट-चपेट, चोरी एवं अग्निभय से रक्षा करता है. असाध्य रोगों से निराश लोगों को इसे धारण करना चाहिए. यह औषधि की तरह काम करता है और स्वस्थ बनाता है.
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जय श्री राम ॐ नमः शिवाय
महाशय प्रभु शरणम् मै फ़ोन पे इनस्टॉल कर रखा हु आप का धर्म के परती जागरूकता फैलाना एक सराहनीय कदम है मै आप के इस कदम को नमन करता हु
मै इसे लैपटॉप पे इनस्टॉल करना चाहता हु क्या हो जायेगा .
प्रशंसा के लिए आभार. लैपटॉप पर नहीं होगा. मोबाइल में या टैब में होगा