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भृगु बोले- जो मैं कह रहा हूं वह सिर्फ हमारे बीच ही रहनी चाहिए. हे राम, आप इसी समय इस आश्रम से निकल जायें. मेरे इस आदेश में ही सबका कल्याण छिपा है. आप इस आश्रम से अपने पितामह का आदेश समझकर चले जाएं.
भृगु राम से अत्यधिक स्नेह रखते थे. राम को भी अपने पितामह से बड़ा प्रेम था. वह तो अपने पितामह से कुछ दिव्य विद्याएं सीखने आए थे किंतु जब उन्हें आश्रम से चले जाने का आदेश मिला तो वह आवाक रह गए.
देवताओं द्वारा वंदनीय भृगु ने जब ऐसा कहा कि राम का आश्रम से जाना विश्व कल्याण के लिए आवश्यक है तो राम ने भारी मन से इसे स्वीकार लिया और वह चलने को तैयार हुए.
आखिर भृगु ने राम को आश्रम से निकल जाने को क्यों कहा? जो दिव्य विद्याएं सीखने राम आए थे क्या वे विद्याएं वह सीख पाए. इस प्रसंग को अगले पोस्ट में कुछ ही देर में सुनाएंगे.
संकलन व संपादनः प्रभु शरणम्
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