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पिछली कथा में आपने पढ़ा कि राम जब शिवजी को प्रसन्न करने के लिए घोर तप में थे तब एक शिकारी आया और उसने राम को कहा कि उनकी तपस्या व्यर्थ जाएगी. राम पर ब्रह्महत्या का दोष है.
उन्होंने अपनी माता का वध किया है. संसार में उनकी बड़ी निंदा हो रही है. वह उसी पाप के प्रायश्चित के लिए और संसार की निंदा से छिपने के लिए तप का स्वांग कर रहे हैं.
राम को इस बात का आश्चर्य हुआ कि एक व्याध को उनके द्वारा माता के वध की बात कैसे पता है. उन्हें शंका होने लगी कि कहीं व्याध रूप में कोई असुर या उनकी तपस्या भंग करने के लिए किसी का षडयंत्र तो नहीं है.
कथा को आगे बढ़ाने से पहले राम द्वारा माता के वध के प्रसंग की चर्चा भी कर लेते हैं. सत्यवती और ऋचीक के पुत्र महर्षि जमदग्नि का विवाह रेणुका से हुआ. जमदग्नि और रेणुका के पांच पुत्र हुए- रुक्मवान, सुखेण, वसु, विश्वानस और राम.
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