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इस तरह राक्षसों के रक्त से स्नान करतीं महाकाली का क्रोध बढ़ता ही चला गया. रक्तबीज का तो अंत हो गया लेकिन तब तक महाकाली का गुस्सा इतना विकराल रूप से चुका था कि उससे देवता भी डरने लगे.
वह माता के समीप जाकर उनकी स्तुति करने से भी भयभीत हो रहे थे कि कहीं देवी क्रोध में उनका ही नाश न कर दें. असुरों के बाद देवताओं में भी भगदड़ मच गई. सभी देवता भगवान शिव के पास गए.
देवताओं ने उनसे महाकाली को शांत करने की प्रार्थना की. भगवान शिव ने महाकाली को बहुत प्रकार से शांत करने की कोशिश की लेकिन उनका क्रोध शांत ही न होता था.
शिवजी चिंतित थे. उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कैसे महाकाली को शांत कराया जाए. जब उनके सभी प्रयास विफल हो गए तो वह महाकाली के मार्ग में ही लेट गए.
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