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दोनों कथाएं स्कंद पुराण में आती हैं. संभव है कि इंद्र और पांडवों दोनों को महादेव ने महिष रूप में ही दर्शन दिए हों. इसलिए यहां महिष के पृष्ठ भाग आकार की पूजा भी होती है.
प्रभु की माया तो प्रभु ही जानें, हम तो बस पुराणों में आए प्रसंग आपके समक्ष लेकर आते हैं. मैं इतना सक्षम नहीं हूं कि ऋषि-मनीषियों द्वारा लिखे शास्त्रों को चुनौती दे सकूं. पुराण मेरे लिए सदैव पूजनीय हैं.
well done but full story published