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इन्द्र ने कहा- प्रभु आपने हमारे परम शत्रुओं का संहारकर हमारी चिंता समाप्त कर दी है. सेनापतियों से वंचित असुर सेना का मनोबल टूट गया है. वह आपके भय से देवलोक से जान बचाकर भाग गई है. हम अब सुखी हैं.

हमारे सारे मनोरथ आपने पूर्ण किए हैं. आपकने वर देने की इच्छा कही यह परम सौभाग्य की बात है. मैंने आपकी कृपा इसी पावन भूमि पर प्राप्त की है इसलिए आप धर्म तथा तीनों लोकों की रक्षा करने के लिए यहां सर्वदा निवास करें.

भगवान शिव ने इंद्र को तथास्तु कहा. महादेव ने महिष रूप में प्रकट होकर इन्द्र से कहा था- ‘के दरयामि?’ अर्थात किसको जल में विदीर्ण कर समाप्त कर डालूं?

इसलिए इंद्र ने कहा- प्रभु! आपके महिष रूप द्वारा “के दरयामि” वाक्य का प्रयोग करके मुझे अनुगृहित किया गया था इसलिए इस क्षेत्र का नाम ‘केदार’ प्रसिद्ध होगा.

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