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महेश्वर तत्क्षण प्रकट हुए और ऋषि को कहा कि इस होनी के पीछे का कारण मैं तुम्हें बताता हूं. यह डाकू पूर्वजन्म में एक ब्राह्मण ही था इसने कई कल्पों तक मेरी भक्ति की.

परंतु इससे प्रदोष के दिन एक भूल हो गई. यह पूरा दिन निराहार रहकर मेरी भक्ति करता रहा. दोपहर में जब इसे प्यास लगी तो यह जल पीने के लिए पास के ही एक सरोवर तक पहुंचा.

संयोग से एक गाय का बछड़ा भी दिनभर का प्यासा वहीं पानी पीने आया. तब इसने उस बछड़े को कोहनी मारकर भगा दिया और स्वयं जल पीया. इसी कारण इस जन्म में यह डाकू हुआ.

तुम पूर्वजन्म में मछुआरे थे. उसी सरोवर से मछलियां पकड़कर उन्हें बेचकर अपना जीवनयापन करते थे. जब तुमने उस छोटे बछड़े को निर्जल परेशान देखा तो अपने पात्र में उसके लिए थोड़ा जल लेकर आए. उस पुण्य के कारण तुम्हें यह कुल प्राप्त हुआ.

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