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एक दिन उसके झुंड पर एक शेर ने धावा बोला. उसको देखकर भेड़ें भांगने लगीं. शेर की नजर भेड़ों के बीच चलते शेर पर पड़ी. दोनों एक दूसरे को आश्चर्य से देखते रहे.

सारी भेंड़े भाग गईं शेर अकेला रह गया. दूसरे शेर ने इस शेर को पकड़ लिया. यह शेर होकर भी रोने लगा. मिमियाया, गिड़गिड़ाया कि छोड़ दो मुझे. मुझे जाने दो. मेरे सब संगी साथी जा रहे हैं. मेरे परिवार से मुझे अलग न करो.

दूसरे शेर ने फटकारा- अरे मूर्ख! ये तेरे संगी साथी नहीं हैं. तेरा दिमाग फिर गया है. तू पागल हो गया है. परन्तु वह नहीं माना. वह तो स्वयं को भेंड मानकर भेलचाल में चलता था.

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