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एक दिन मंदिर में दर्शनार्थियों की बड़ी भीड़ थी. भक्त संध्या करके उठने ही वाला था कि आकाशवाणी हुई. “तेरी 20 साल की मेहनत बेकार गई. 20 साल से की हुई संध्या में से एक भी भगवान ने स्वीकार नहीं की.”

यह सुनते ही वहां मौजूद लोग अफसोस व्यक्त करने लगे. सबको भक्त की 20 साल की मेहनत बर्बाद होते देख सहानुभूति हो रही थी. लेकिन सब यह देखकर हैरान थे कि भक्त खुश होकर नाच रहा है.

सबको लगा कि शायद भविष्यवाणी सुनकर भक्त पागल हो गया. उसे सांत्वना देकर बिठाया और पूछा कि आप अपनी मेहनत के व्यर्थ जाने से दुखी होने की बजाय खुश हो रहे हैं, ऐसा क्यों?

भक्त ने जवाब दिया- ठाकुरजी को यह ध्यान में तो है कि मै 20 साल से उनकी भक्ति में रगड़ कर रहा हूं. उनकी नजर है क्या यह पर्याप्त नहीं! मुझे कुछ चाहिए भी नहीं. परमात्मा की नजर मुझ पर है इस खुशी में क्यों न नाचूं भला!

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2 COMMENTS

    • आपके शुभ वचनों के लिए हृदय से कोटि-कोटि आभार.
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