हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.
[sc:fb]

अंत में तीसरे वृक्ष ने कहा- मैं तो इस जंगल का सबसे बड़ा और ऊंचा वृक्ष ही बनना चाहता हूं. लोग दूर से ही मुझे देखकर पहचान लें. वे मुझे देखकर ईश्वर का स्मरण करें और मेरी शाखाएं स्वर्ग तक पहुंचें. मैं संसार का सर्वश्रेष्ठ वृक्ष ही बनना चाहता हूं.

ऐसे ही सपने देखते-देखते कई सारे साल गुज़र गए. उन्हें विश्वास था कि कभी न कभी दिन उनका सपना पूरा जरूर होगा. उन्हें ईश्वर की लीला की प्रतीक्षा थी.

एक दिन उस जंगल में कुछ लकड़हारे आए. उनमें से जब एक ने पहले वृक्ष को देखा तो अपने साथियों से कहा- इस वृक्ष को देखो. इसे बढ़ई को बेचने पर बहुत पैसे मिलेंगे. पैसे के लिए वे पहले वृक्ष को काटने लगे.

[irp posts=”6604″ name=”आप पर तंत्र प्रयोग या तांत्रिक क्रिया तो नहीं हुई?”]

आश्चर्य की बात या ईश्वर की लीला देखिए कि आरी चलाई जा रही है फिर भी वह वृक्ष बड़ा खुश था. उसका तो जैसे सपना पूरा होने वाला था. उसने सुना कि उसे बढ़ई को बेचने के लिए काटा जा रहा है तो उसे न जाने क्यों ऐसा यकीन हो गया कि बढ़ई उससे खजाने का बक्सा ही बनाएगा.

इसके बाद लकड़हारों ने दूसरे वृक्ष का मुआयना किया और आपस में चर्चा करके एक निष्कर्ष पर पहुंचे. लकड़हारों के लीडर ने कहा- यह वृक्ष भी लंबा और मजबूत है. मेरे ख्याल से ऐसे पेड़ जहाज के लिए सबसे अच्छे रहते हैं. इससे लंबा और मजबूत जहाज बनेगा. मैं इसे जहाज बनाने वालों को बेचूंगा, वहीं से अच्छे दाम मिलेंगे.

वेद-पुराण-ज्योतिष-रामायण-हिंदू व्रत कैलेंडेर-सभी व्रतों की कथाएं-व्रतों की विधियां-रामशलाका प्रश्नावली-राशिफल-कुंडली-मंत्रों का संसार. क्या नहीं है यहां! एक बार देखिए तो सही…

Android ऐप्प के लिए यहां क्लिक करें


लिंक काम न करता हो तो प्लेस्टोर में सर्च करें-PRABHU SHARNAM

दूसरा वृक्ष भी खुश था. ईश्वर की लीला देखिए उसका चाहा भी पूरा होने वाला था.

अब लकड़हारे तीसरे वृक्ष के पास आए. मुआयना करने लगे पर यह क्या जहां दूसरे वृक्ष खुश थे, वहीं उनका तीसरा मित्र तो  भयभीत हो गया.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here