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मुनि ने कहा- प्रभु मैं भी अच्छा गायक हूं. मुझे भी विरोचन की तरह दरबार में किसी खास मौके पर गाने के लिए मौका चाहिए ताकि मैं अपनी कला का प्रदर्शन कर सकूं, लेकिन मेरी किस्मत में तो यह है ही नहीं.

भगवान ने कहा- ठीक है मैं तुम्हें एक मौका जल्द ही देता हूं. कुछ दिनों बाद राजा के दरबार में कुछ दूसरे राजा और विद्वान आए. उनके मनोरंजन के लिए गाने को विरोचन को बुलाया गया. लेकिन उस दिन विरोचन का गला खराब था.

राजा ने मुनि को बुलवाया और अपने खास अतिथियों का अपने गीत से मनोरंजन करने को कहा. चूंकि मुनि ने तो रियाज करना ही छोड़ दिया था इस कारण वह ठीक से गा नहीं पाया.

अतिथियों के सामने हुई हंसी से राजा को गुस्सा आया. उसने मुनि को राजसभा में गाने से हमेशा के लिए प्रतिबंधित कर दिया. दुखी मुनि मंदिर पहुंचा. वहां शिवजी उसकी ही प्रतीक्षा कर रहे थे.

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5 COMMENTS

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