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गर्भधारण हेतु समागम के लिए निषिद्ध हैं ये रात्रियां:
– पूर्णिमा, अमावस्या, प्रतिपदा, अष्टमी, एकादशी, चतुर्दशी, सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण, ऊत्तरायण, जन्माष्टमी, रामनवमी, होली, शिवरात्रि, नवरात्रि आदि पर्वों की रात्रि, श्राद्ध के दिन गर्भाधारण के लिए समागम नहीं करना चाहिए.
– चतुर्मास, प्रदोषकाल, क्षयतिथि (दो तिथियों का समन्वय काल) एवं मासिक धर्म के चार दिन तक गर्भधारण की कामना से समागम नहीं चाहिए.
– शास्त्रवर्णित मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं करना चाहिए.
– तिथिगंड मूल, भरणी, अश्विनी, रेवती, मघा नक्षत्रों में गर्भाधान यज्ञ यानी गर्मधारण के लिए समागम नहीं करना चाहिए.
– नक्षत्रों की संधिकाल में भी गर्भधारण के लिए समागम नहीं करना चाहिए.
– माता पिता की मृत्यु तिथि, स्वयं की जन्म तिथि को भी संतान प्राप्ति की कामना से समागम नहीं करें. दिन में समागम करने से आयु व बल का बहुत ह्रास होता है.
पति-पत्नी संतान यज्ञ के लिए समागम हेतु पर शैय्या पर जाएं तो उस संदर्भ में भी कुछ विधान कहे गए हैं. उनका पालन करना चाहिए.
अगले पेज पर समागम हेतु शैय्या पर जाने का विधान. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.
ऋतु स्नान जिस दिन करे वो दिन पहला दिन गिना जायेगा की नही जय श्री राम