आप बिना इन्टरनेट के व्रत त्यौहार की कथाएँ, चालीसा संग्रह, भजन व मंत्र , श्रीराम शलाका प्रशनावली, व्रत त्यौहार कैलेंडर इत्यादि पढ़ तथा उपयोग कर सकते हैं.इसके लिए डाउनलोड करें प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प.
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
राजा युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा– भगवन! तीनों लोकों में लक्ष्मी ही सबसे दुर्लभ हैं पर हैं वह चंचला तो फिर किस व्रत, होम, तप, जप, नमस्कार आदि किस कर्म के करने से स्थिर लक्ष्मी प्राप्त होती है?
भगवान श्रीकृष्ण बोले– महाराज! प्राचीन काल में भृगु मुनि ने अपनी पुत्री ख्याति का विष्णु के साथ विवाह कर दिया. यही लक्ष्मी बनीं. लक्ष्मी भी श्रीविष्णु को वर के रूप में प्राप्त कर स्वयं को कृतार्थ मानकर सम्पूर्ण जगत को आनन्दित करने लगी.
यह श्रीलक्ष्मी की ही कृपा थी कि सभी में कुशलक्षेम, आनंद, मंगल और ऐश्वर्य तथा खान-पान की उत्तम उपलब्धता थी. संसार के सभी उपद्रव शांत हो गये.
ब्राह्मण हवन करने लगे. देवगण भी हवन करने से मिलने वाले भोजन को सुगमता से प्राप्त करने लगे और राजा प्रसन्नतापूर्वक चारों वर्णों की रक्षा करने लगे.
दैत्यगणों को लगा कि देवताओं सहित धरती पर भी सब बड़े आनंद से हैं तो उन विघ्न संतोषी दैत्यों को बड़ा कष्ट हुआ. उन्होंने पता किया तो पता चला हर प्रकार की सुख, संतुष्टि, समृद्धि और शुभ शांति का कारण एकमात्र श्रीलक्ष्मी हैं.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.