एकबार नारदजी ने राजा दशरथ को बताया कि रोहिणी पर शनि दृष्टि के कारण सूखा पड़ा है. प्रजा त्रस्त है इसलिए आप आनंद छोडकर प्रजा के संकट का समाधान करें.
दशरथ राज्य भ्रमण को निकले. एक सरोवर के पास पहुंचे. एक पेड़ पर उन्होंने दो तोतों को बात करते सुना. तोता अपने साथी से कह रहा था-
हम सात पुश्तों से यहां रह रहे हैं लेकिन अब अयोध्या छोड़ने में भला है. भीषण सूखा पड़ने वाला है लेकिन राजा दशरथ अपनी रानियों के साथ ऐशो-आराम में मगन है.
पहले नारद और फिर शुक से ऐसी बात सुनकर दशरथ चिंतित हुए. वह सीधे इंद्र के दरबार में पहुंचे और उन्हें युद्ध के लिए ललकारा. देवों ने दशरथ को शांत कराया.