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गायन में तुम गोविंदस्वामी से श्रेष्ठ हो लेकिन यह प्रभु को प्रसन्न करने के लिए गाते हैं. यह उनको प्रसन्न करने के लिए गाते हैं जो संसार चलाते हैं. इनके संगीत का दायरा व्यापक है.

तानसेन को बात समझ में आ गई थी. मित्रों, यदि हम पर ईश्वर ने कोई विशेष कृपा की है तो उसके पीछे ईश्वर का उद्देश्य होता है हमें परखना. वह देखना चाहते हैं कि क्या हम उसके योग्य हैं? हम उस विशेष कृपा का प्रयोग कैसा कर रहे हैं.
आसमान छूते ताड़ के पेड़, जिसकी छाया किसी को नहीं मिलती, बनने से अच्छा है दूर तक फैली घास बन जाना जो धरती के ताप से पैरों को तो बचाती है. भक्ति वही घास है जबकि विलासिता ताड़ का पेड़.

यदि प्रभु के दिए अनमोल उपहार का एकमात्र उद्देश्य भौतिक सुख प्राप्त करना रह जाएगा तो उसमें धीरे-धीरे ह्रास होगा और अंततः हम उससे वंचित हो जाएंगे क्योंकि भौतिक सुख अस्थाई हैं तो फिर उस सुख का साधन कैसे स्थाई होगा!

संकलन व संपादनः प्रभु शरणम्

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