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भूख, प्यास, नींद और आशा चार बहनें थीं. एक बार उनमें श्रेष्ठता की लड़ाई हो गई. आपस में जब श्रेष्ठता का फैसला नहीं हो पाया तो लड़ती-झगड़ती वे एक राजा के पास पहुंचीं.

राजा ने पूरा माजरा पूछा. सब वहां भी वहीं बात करने लगीं. मैं बड़ी तो मैं बड़ी. राजा ने सोचकर सबसे पहले भूख से पूछा, “क्यों बहन, आखिर तुम कैसे बड़ी हो ?

भूख बोली, “मैं इसलिए बड़ी हूं, क्योंकि मेरे कारण ही घर में चूल्हे जलते हैं, पांचों पकवान बनते हैं और वे जब मुझे थाल सजाकर देते हैं, तब मैं खाती हूं, नहीं तो खाऊं ही नहीं.

राजा ने अपने कर्मचारियों से कहा- जाओ, राज्य भर में मुनादी करा दो कि कोई अपने घर में चूल्हे न जलाये, पांचों पकवान न बनाये, थाल न सजाये, भूख लगेगी तो भूख कहां जायगी ?

सारा दिन बीता, आधी रात बीती. भूख को भूख लगी. उसने चारो तरफ खोजा लेकिन भूखको खाने को कहीं कुछ नहीं मिला. लाचार होकर वह एक घर में पड़े बासी रोटी के टुकड़े खाने लगी.

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