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यह सबके लिए वंदनीय होगा. इसके कृपापात्रों को शत्रु पराजित नहीं कर सकेंगे जिस तरह विष्णु के भजने वालों को असुर नहीं पराजित कर सकते. तुम्हारा पुत्र सौंदर्य, कीर्ति, प्रभाव आदि में विष्णु के सदृश होगा. अतः इसका पालन-पोषण सावधानी से करना.

इस प्रकार कृष्ण के विषय में आदेश देकर गर्गाचार्य अपने आश्रम को चले गए.

कल श्रीकृष्ण और बलरामजी की बाल लीलाओं की कथा सुनाउंगा. प्रभु का मिट्टी खा लेना और माता को उनके मुख में समस्त संसार के दर्शन का प्रसंग बड़ा रोचक है. इस पर कल चर्चा करेंगे.

संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली

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