वृन्दावन में स्वयं भगवान ने अवतार लिया तो धरती ने वृंदावन का भरपूर शृंगार किया.
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वृन्दावन में स्वयं भगवान ने अवतार लिया तो धरती ने वृंदावन का भरपूर शृंगार किया. प्रकृति का वैभव अलौकिक लगता था. सभी देवों ने अवतार लेकर वृंदावन के शृंगार में रौनक लगा दी.
किसी देवता ने पेड़-पौधे का रूप लिया तो किसी ने पशु का तो कोई पक्षी बना. बालकृष्ण जब गाएं चराने निकलते तो सभी देवता झूमक-झूमकर उनका स्वागत करते. तरह-तरह के पक्षी मधुर स्वरों से वातावरण को गुंजित कर रहे थे.
एक ओर गोवर्धन पर्वत, दूसरी ओर यमुना बह रह थी. बालकृष्ण प्रातः ग्वाल-बालों के साथ गायों को चराने वन में निकल जाते और आपस में तरह-तरह के खेल खेलते.
रोज की तरह ग्वाल-बालों के साथ श्रीकृष्ण गायें चराने निकले. दोपहर होने वाली थी. भगवान श्रीकृष्ण कदंब के वृक्ष के नीचे ग्वाल-बालों के साथ खेल रहे थे. चारों ओर सन्नाटा था. सहसा कन्हैया की दृष्टि उनके झुंड के बछ्ड़ों की ओर गई.
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