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शेशजी के गर्भ आगमन के साथ ही देवकी का हर्ष बढ़ गया. कंस का यदुवंशियों पर अत्याचार बढ़ गया था. श्रीहरि ने योगमाया को आदेश दिया- तुम माता देवकी के गर्भ से शेषजी को निकालकर नंदबाबा के गोकुल में छुपकर रह रही वसुदेव की पत्नी रोहिणी के गर्भ में डाल दो.

अब मैं अपने समस्त ज्ञान औऱ बल आदि अंशों के साथ देवकी के गर्भ में आउंगा. तुम नंदबाबा की पत्नी यशोदा के गर्भ में आओ. इस कार्य में सहयोग करने के कारण तुम संसार अंबिका, भद्रकाली, चामुंडा, नारायणी, वैष्णवी, शारदा आदि नामों से पूजी जाओगी.

योगमाया ने देवकी के गर्भ से शेषजी को खींचकर निकाल लिया इस कारण उनका नाम संकर्षण भी पड़ा. उसे रोहिणी के गर्भ में स्थापित कर आईं. कंस ने समझा कि देवकी का गर्भ नष्ट हो गया.

अब भगवान ने देवकी के गर्भ में प्रवेश लिया. देवकी के गर्भ से एक अद्भुत तेजपुंज बाहर आने लगा. द्वारपालों ने कंस को बताया तो वह बहुत भयभीत हो गया. वह उसे खत्म करने के उपाय सोचने लगा.

ब्रह्मा, महादेव आदि सभी देवगण कारागार में आए और उन्होंने भगवान की स्तुति आराधना की. कंस इतना व्याकुल था कि उसे सोते-जागते कालरूप में भगवान दिख जाते. समस्त देवों ने हरि अवतार के लिए विशेष तैयारियां आरंभ कीं.

कल सुनेंगे श्रीकृष्ण के प्राक्टय का वर्णन प्रसंग

संकलन व संपादनः प्रभु शरणम्

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