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पीड़ा में चिल्लाते हुए बकासुर ने तुरंत ही श्रीकृष्ण को अपने मुख से उगल दिया और क्रोध में भरकर से अपनी कठोर चोंच से उन पर प्रहार करने लगा. भगवान उसके साथ कुछ देर तक ठिठोली करते रहे.

फिर श्रीकृष्ण ने उसकी नुकीली चोंच पकड़ ली और उसे खींचकर फैला दिया. फिर एक चोंच के एक सिरे को पैरों से दबाया और दूसरे को खींचकर उसके दो टुकड़े कर दिए. इस तरह उसका मुख दो हिस्सों में फट गया और उसने प्राण त्याग दिए.

बकासुर वास्तव में है पूर्व जन्म में हयग्रीव का पुत्र उत्कल था. उत्कल बड़ा शराररती था. वह जाजलि मुनि की पर्णकुटी में घुस गया और वहां मछलियां पकड़कर उन्हें मारने लगा.

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