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भगवान जगन्नाथजी बोले- सभी के शुभ और अशुभ कर्मों का फल मैं देता हूं. अब तुम निष्पाप हो गए हो. घृणित आजीविका के बावजूद भी तुमने धर्म का साथ न छोड़ा. इसलिए तुम्हारे प्रेम को मैंने स्वीकार किया. मैं तुम्हारे साथ मांस तोलने वाले तराजू में भी प्रसन्न रहा.

भगवान के दर्शन से सदनाजी को मोक्ष प्राप्त हुआ.

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भक्त सदनाजी की कथा हमें बताती है कि भक्ति में आडंबर नहीं भावना मायने रखती है. भगवान के नाम का गुणगान करना सबसे बड़ा पुण्य है. प्रभु शरणम् इसीलिए बनाया गया है. आपसे भी अनुरोध है कि प्रभुनाम के प्रचार-प्रसार के इस मिशन में जुड़कर प्रभुलीला का आनंद लें.

नीचे लिंक है इससे एक बार जरूर देखें प्रभु शरणम् को. यदि आपको आनंद न आए तो कहना. यदि सचमुच अच्छा न लगे तो इसे डिलीट कर दीजिएगा पर आप एक बार देखें जरूर फिर निर्णय करें. धर्म-प्रचार के इस अभियान से जुड़ें.

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