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न्यायाधीश ने राजा को बताया कि एक आदमी अपराधी है नहीं पर चुप रहकर एक तरह से अपराध की मौन स्वीकृति दे रहा है. इसे क्या दंड दिया जाना चाहिए?

राजा ने कहा- यदि वह प्रतिवाद नहीं करता तो दण्ड अनिवार्य है. अन्यथा प्रजा में गलत सन्देश जाएगा कि अपराधी को दंड नहीं मिला. इसे मृत्युदंड मत दो, हाथ काटने का हुक्म दो.

सदना का दायां हाथ काट दिया गया. सदना ने अपने पूर्वजन्म के कर्म मानकर चुपचाप दंड सहा और जगन्नाथपुरी धाम की यात्रा शुरू की.

धाम के निकट पहुंचे तो भगवान ने अपने सेवक राजा को प्रियभक्त सदना कसाई की सम्मान से अगवानी का आदेश दिया. प्रभु आज्ञा से राजा गाजे-बाजे लेकर अगुवानी को आया.

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सदना ने यह सम्मान स्वीकार नहीं किया तो स्वयं ठाकुरजी ने दर्शन दिए.

उन्हें सारी बात सुनाई- तुम पूर्वजन्म में ब्राहमण थे. तुमने संकेत से एक कसाई को गाय का पता बताया था. तुम्हारे कारण जिस गाय की जान गई थी वही स्त्री बनी है जिसके झूठे आरोपों से तुम्हारा हाथ काटा गया. उस स्त्री का पति पूर्वजन्म का कसाई बना था जिसका वध कर गाय ने बदला लिया है.

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