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फिर कौन असली है? कहीं चूक से गलत प्राण न हर लें. गलत प्राण हर लिया तो बड़ा कड़ा दंड मिलेगा. यमदूत परेशान हो गए. कुछ न सूझा तो इरादा बदला और वापस लौट गए. वहां जाकर परमात्मा को बताया कि बड़ी मुश्किल पड गई है. वहां बारह एक जैसे लोग हैं! असली को कैसे खोजूं?

परमात्मा ने उसके कान में एक सूत्र दिया और कहा इसे सदा याद रखना. जब भी असली और नकली के बीच में से असली को खोजना हो इस सूत्र से आसानी से खोज लेना.

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परमात्मा का सूत्र लेकर यमदूत फिर वापस लौटे. फिर से उसी कमरे में गए. परमात्मा का दिया अब नुस्खा था उनके पास.

मूर्तियों को देखा और कहा- मूर्तियां बनी तो बहुत सुंदर हैं पर मूर्तिकार से सिर्फ एक भूल रह गई. काश वह भूल न हुई होती तो ये मूर्तियां संसार की सर्वश्रेष्ठ होतीं.

यह सुनना था कि मूर्तियों के बीच सांसे रोके खड़ा चित्रकार खुद को रोक न सका. उसकी कला जो विश्वविख्यात है उस पर प्रश्नचिह्न. ऐसा कैसे हो सकता है.

कलाकार से रहा न गया. सुनते ही बोल उठा- कौन सी भूल रह गई? मैंने तो अपनी सारी कला उड़ेल कर रख दी. फिर भी तुम कहते हो भूल है. बताओ मेरी भूल के बारे में.

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यमदूतों ने कहा- कलाकार तुम्हारी भूल यही है कि कि तुम स्वयं को नहीं भूल सकते. बाहर आ जाओ.

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