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उसने हिम्मत जुटाई. गुप्तचरों को संपर्क किया. गुप्तचरों को दुश्मनों के बीच छोड़ा जो उसे खतरे से आगाह करते रहे. राजा ने वन में रहने वाली प्रजा को संगठित कर सेना बनाई. पुराने सैनिकों से संपर्क किया. गुपचुप एक रात शत्रुओं के सबसे बड़े शिविर पर चढ़ाई कर दी.

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जोरदार युद्ध हुआ. शत्रु सैनिकों को इस हमले आशा ही न थी. कुछ ही देर में शत्रु ढेर हो गए. राजा को बहुत हथियार और रसद हाथ लगी. उसने राज्य वापस हासिल कर लिया.

राजा का महल में भव्य स्वागत हुआ. प्रजा फूल बरसा रही थी. उत्सव मनाया जा रहा था. राजा को योगी की बात याद आई. उसने समझ लिया था कि यह सुख भी स्थाई नहीं है. उसने तय किया कि योगी के मंत्र को वह अपनी प्रजा को देगा ताकि वे संकट के लिए तैयार रहे.

-राजन प्रकाश

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