December 7, 2025

इस कथा को सुनने से मिलता है मोक्ष

भला कथा सुनने से मोक्ष प्राप्त हो सकता है? मोक्ष क्या है, क्यों उसके लिए इंसान तरसता है. आखिर ऐसा क्या आकर्षण मोक्ष में कि जिसे देखो वही मोक्ष पाना चाहता है. हर ज्ञानी महात्मा इसे पाने के लिए प्रेरित करता रहता है. मोक्ष और मोक्ष का सिद्धांत पानी की तरह साफ हो जाता है यदि हम श्रीमद् भागवत महापुराण को समझें.

ऐसा किस आधार पर कह रहा हूं? आपके मन में यदि यह प्रश्न जानने की इच्छा से आ रहा है तो समझिए आपका मन बिल्कुल पवित्र है शुकदेवजी के जैसा. पवित्र भाव वाले शुकदेव जी को ही इस ज्ञान के योग्य माना गया और उन्होंने इसे प्राप्त भी किया. यदि आपके मन में शंका माखौल उड़ाने के भाव से आ रही है तो फिर यह आपके लिए नहीं है. आप इसे समझ ही न पाएंगे. शुकदेव बनने के लिए भागवत  में डूबना पड़ेगा.

यह पोस्ट सिर्फ उनके लिए है जिन्हें हिंदू धर्मग्रंथों के सार को, रहस्य को समझने में आनंद आता है. वे गंभीरता से इसे जानना-समझना और फिर गर्व करना चाहते हैं.  अंत तक पढ़िएगा.

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यह शुकदेव कौन हैं? उनके मन में भ्रम कैसे आया था? वह भ्रम कैसे मिटा? ऐसा क्यों कहा कि यदि आपके मन में में शंका आई तो आप पवित्र हैं? अब बात इतनी गहरी है तो इसे धीरे-धीरे समझाऊंगा. शुकदेव की कथा से शुरू करता हूं. अंत तक एक-एक शब्द पढ़िएगा, गहराई से.

एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से ऐसे गूढ़ ज्ञान देने का अनुरोध किया जो संसार में किसी भी जीव को प्राप्त न हो. वह अमरत्व का रहस्य प्रभु से सुनना चाहती थीं. अमरत्व का रहस्य किसी कुपात्र के हाथ न लग जाए इस चिंता में पड़कर महादेव पार्वतीजी को लेकर एक निर्जन प्रदेश में गए.

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उन्होंने एक गुफा चुनी और उस गुफा का मुख अच्छी तरह से बंद कर दिया. महादेव नंदी को गुफा के बाहर पहरे पर बठाया और फिर उन्होंने देवी जगदंबा को कथा सुनानी शुरू की.

पार्वतीजी थोड़ी देर तक तो आनंद लेकर कथा सुनती रहीं.

जैसे किसी कथा-कहानी के बीच में हुंकारी भरी जाती है उसी तरह देवी काफी समय तक हुंकारी भरती रहीं लेकिन जल्द ही उन्हें नींद आने लगी. कहते हैं जो भागवत में डूब जाते हैं उन्हें बीच-बीच में इसीलिए नींद आती है.

भोलेनाथ कथा सुनाते रहे. उस गुफा में तोते यानी शुक का एक घोंसला भी था. तोता उस समय तो गुफा में नहीं था परंतु उसके घोसले में जो अंडा था वह फूट गया और तोते के बच्चे का जन्म हुआ.

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भोलेनाथ द्वारा सुनाई जा रही कथा को वह तोता भी पूरे हृदय से सुनता रहा.

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