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‘आदित्यहृदय स्तोत्र’
विनियोग
ॐ अस्य आदित्य हृदय स्तोत्रस्य अगस्त्य ऋषिः अनुष्टुपछन्दः, आदित्य हृदयभूतो
भगवान ब्रह्मा देवता निरस्ता शेषविघ्नतया ब्रह्मविद्या सिद्धौ सर्वत्र जयसिद्धौ च विनियोगः।
ऋष्यादिन्यास (प्रत्येक श्लोक के साथ बताए गए अंगों को स्पर्श करें)
ॐ अगस्त्यऋषये नमः, शिरसि(सिर को स्पर्श करें)। अनुष्टुपछन्दसे नमः, मुखे(मुख को स्पर्श करें)। आदित्य हृदयभूत ब्रह्म देवतायै नमः हृदि(हृदय को स्पर्श करें)।
ॐ बीजाय नमः गुह्यो(नितंबों को स्पर्श करें)। रश्मिमते शक्तये नमः पादयो(पैरों को स्पर्श करें)। ॐ तत्सविर्तु आदित्य गायत्री कीलकाय नमः नाभौ (नाभि स्पर्श करें)।
करन्यास(प्रत्येक श्लोक के साथ बताए गए अंगों को स्पर्श करें)
ॐ रश्मिमते अंगुष्ठाभ्यां नमः(तर्जनी से अंगूठे को स्पर्श करें)। ॐ समुद्यते तर्जनीभ्यां नमः(अंगूठे से तर्जनी को स्पर्श करें)।
ॐ देवासुरनमस्कृताय मध्यमाभ्यां नमः(अंगूठे से मध्यमा को स्पर्श करें)। ॐ विवस्वते अनामिकाभ्यां नमः(अंगूठे से अनामिका को स्पर्श करें)।
ॐ भास्कराय कनिष्ठिकाभ्यां नमः(अंगूठे से छोटी अंगुली को स्पर्श करें)। ॐ भुवनेश्वराय करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः(दोनों हथेलियों को स्पर्श करें)।
हृदयादि अंगन्यास(प्रत्येक श्लोक के साथ बताए गए अंगों को स्पर्श करें)
ॐ रश्मिमते हृदयाय नमः(हृदय को स्पर्श करें)। ॐ समुद्यते शिरसे स्वाहा(सिर को स्पर्श करें)।
ॐ देवासुरनमस्कृताय शिखायै वषट् (मस्तक के मध्य की शिखा को स्पर्श करें)।
ॐ विवस्वते कवचाय हुम्(बाएं हाथ से दाहिना कंधा और दाहिने हाथ से बायां कंधा स्पर्श करें)।
ॐ भास्कराय नेत्रत्रयाय वौषट्(तर्जनी से दायीं आंख, अनामिका से बायीं आंख और मध्यमा से दोनों आंखों के मध्य त्रिनेत्रस्थल को स्पर्श करें)।
ॐ भुवनेश्वराय अस्त्राय फट्(दोनों कंधों को झटका देकर सावधान की मुद्रा लें)।
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