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प्रभु भांप गए कि हनुमानजी अभी तक शिवजी और स्वयं उनके द्वारा संकेत में कही गई बात को समझ नहीं पा रहे हैं. वह मुस्कराने लगे. हनुमानजी का कष्ट और बढ़ गया.

श्रीराम ने कहा- आप सही कहते हैं. आप उस बालूकामय लिंग को उखाड़ दीजिए. मैं आपके द्वारा लाए शिवलिंगों को स्थापित कर देता हूं.

हनुमानजी खुश होकर शिवलिंग उखाड़ने चले. अपनी पूंछ में बांधकर उन्होंने शिवलिंग को पूरी ताकत से खींचा लेकिन उखड़ना तो दूर वह हिला भी नहीं.

हनुमानजी ने फिर जोर लगाया. शिवलिंग तो न हिला उनकी पूंछ जरूर टूट गई.हनुमानजी मूर्च्छित होकर गिर पड़े.
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