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प्रेम हतप्रभ था. वह बोल नहीं पा रहा था. बूढे ने उसे किनारे पर छोडा तब भी कुछ नहीं बोला. बस उसका आभार किया. बूढा प्रेम को उतारकर चुपचाप चला गया.
अचानक प्रेम को याद आया कि डूबने के डर और बच जाने की खुशी के बीच वह खुद को बचाने वाले शख्स का नाम पूछना भी भूल गया. प्रेम अपने आप को कोसने लगा.
वह पता लगाने के लिए दौड़ता-दौड़ता ज्ञान के घर गया. ज्ञान को पूरी बात बताई. ज्ञान ने आँखें बंद की. थोडी देर बाद आँखें कहा, ‘तुझे बचाने वाला समय था.’
प्रेम को अचरज हुआ. प्रेम ने पूछा, ‘हे ज्ञान! जब कोई भी मेरी मदद को तैयार न था तो सिर्फ समय ने ही क्यों बचाया?’
ज्ञान ने सदियों के अनुभव के निचोड़ से बताया- सिर्फ समय ही प्रेम की महानता और उसकी अहमियत को समझ सकता है. दूसरों को इतनी बुद्धि होती तो वे समय ती तरह शाश्वत न हो जाते.
सौंदर्य, समृद्धि और आनंद में चूर प्रेम की अहमियत को जो नहीं समझते उन्हें समय सबक सिखाता है. वह सबक कड़वा होता है. दिमाग पर जोर डालिए और याद कीजिए जब सबने आपका साथ छोड़ दिया था तो किसी के प्रेम-स्नेह ने सहारा दिया होगा.
लेखन व संपादनः राजन प्रकाश
संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली
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