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किसान बोले- मेढ़क भाई! यदि उनकी लड़ाई वर्षों तक चलती रही तो हम अपना कर्म ही भूल जाएंगे. इसलिए हमें अपना कर्म तो करते ही रहना चाहिए.
मेढ़क ने सोचा- तो मैं भी टर्राता हूं, नहीं तो मैं भी टर्राना भूल जाऊंगा. तब वह भी टर्राने लगा.’ वह टर्राकर इंद्र और भगवान के बीच के विवाद की बात सुनाने लगा.
मोर ने उससे टर्राने का कारण पूछा तो उसने वही बता दिया जो किसान ने कहा था. मोर को भी बात जम गई. उसने भी जंगल में ईश्वर के विवाद की बात नाच-गाकर सुनानी कर दी.
मोर से बंदर ने पूछा. तो मोर बोला- मैं अपना कर्म न भूल जाउं इसलिए नाच-गा रहा हूं, कयोंकि इंद्र अपना कर्म भूल गए हैं. सब को अपना कर्म करने चाहिए.
बंदर ने आगे गाना शुरू किया- इंद्र अपना कर्म भूल गए. हमें अपना कर्म पहले से ज्यादा करना है. आगे भगवान जानें.
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