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और्व ने कालिंदी से कहा कि सती मत हो. गर्भ में पलने वाले शिशु की हत्या मत करो. यह पुत्र प्रतापी होगा और अपने कुल की मान मर्यादा लौटा लाएगा. कालिंदी मान गयीं. उनको बेटा हुआ.

कालिंदी के बेटे का नाम रखा गया सगर. सगर मतलब विषसहित. बालक को और्व ने ही शिक्षा दीक्षा दी. आग उगलने वाले हथियारों के चलाने में तो उसका कोई जोड़ ही न था.

सगर जब बड़े हुए तो न केवल उन्होंने वापस अपना राज्य अयोध्या जीता बल्कि कृतवीर्य के वारिस हैहयवंशियों को इस तरह पराजित किया कि वे बहुत बरसों तक सर उठाने के लायक न रहे.

उधर और्व की उम्र निकलती जा रही थी. ऋषि मित्रों ने कहा कि तुम्हें गृहस्थी बसानी चाहिए, संतान पैदा कर वंश चलाना चाहिए. और्व ने जब यह बात अनसुनी कर दी तो उन्होंने अपना अनुरोध बार बार दुहराया.

और्व ने आजिज आकर जवाब दिया कि मैं विवाहकर संतान पैदा कर सकता हूं पर मेरी संतानें साक्षात आग ही होंगी. दूसरों को भस्म करके अपन पेट भरेंगी. मेरा रक्त, वीर्य सब अग्निमय है. यकीन न हो तो यह देखो.

ऐसा कहकर उन्होंने शरीर पर प्रहार किया. एक भयंकर आवाज गूंजी. बहुत भूखा हूं, बाहर आने दो, संसार को अपने में समाकर भूख मिटाने दो. यही आवाज बार बार गूंजने लगे. यह आवाज ऐसी भयानक थी कि ब्रह्माजी तक ने सुनी.

ब्रह्माजी तत्काल और्व के सामने प्रकट हुये और बोले- मैं तुम्हें उचित स्थान देता हूं. तुम्हारा मुख अश्व जैसा होगा जिससे शरीर की अग्नि बाहर निकलती रहेगी. उस अग्नि को संभालने की क्षमता समुद्र के अलावा किसी और में नहीं. इसलिए तुम समुद्र में रहो.
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