शिवरात्रि पूजा का महत्व बताने से पहले आपको एक जानकारी देने के साथ शुरुआत करते हैं. आपने इस पेज को क्लिक किया इसका अर्थ है कि आपमें शिवजी के प्रति श्रद्धा है. आपको शिवजी से जुड़ी जानकारियों की ललक है, शिव महिमा को जानने-समझने की ललक है. उसे सुनकर आनंदित होते हैं.

शिवजी की विधिवत पूजा कैसे होती है, अभिषेक के नियम क्या हैं. प्रदोष कैसे करना चाहिए. शिवजी के किन मंत्रों से पूजा करने से प्राप्त होते हैं मनचाहे अभीष्ट. उन मंत्रों के जप की विधि क्या है? ये सारी जानकारी देने वाला एक एप्प है-महादेव शिव शंभू. इसमें आप संक्षिप्त और सरल रूप में शिवपुराण भी पढ़ सकते हैं. आप स्वयं आजमाकर देखें.

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शिवरात्रि का सृष्टि से सरोकारः

शिवजी को बहुत प्रिय है शिवरात्रि. वैसे तो प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मास शिवरात्रि होती है. इन शिवरात्रियों में सबसे प्रमुख है फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी जिसे महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है.

क्यों इतनी महत्वपूर्ण है शिवरात्रिः

-फाल्गुन मास की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी की रात में पार्वतीजी और महादेव का विवाह हुआ था इसलिए यह शिवरात्रि वर्ष भर की शिवरात्रि से उत्तम है.

-शिवजी तो विरक्त हैं. माया से मुक्त परंतु उन्होंने यह विवाह इसलिए ताकि संसार संन्यास के बीच समाज की उपयोगिता को समझे. सृष्टि को चलाने के लिए सांसारिक होना भी जरूरी है.

-विवाह का दिन सभी स्मरण रखते हैं, उसे सेलिब्रेट करते हैं. तो ऐसा समझ लें कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव अंशरूप में प्रत्येक शिवलिंग में पूरे दिन और रात मौजूद रहते हैं.

-हर महीने में त्रयोदिशी तिथि को जिसे मासशिवरात्रि कहते हैं- भगवान शिवजी, अपनी प्रिया पार्वतीजी को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंगों में साक्षात प्रवेश करते हैं.

-सृष्टि के निर्माण के समय महाशिवरात्रि की मध्यरात्रि में शिव का रूद्र रूप प्रकट हुआ था, शिवपुराण में ऐसा कहा गया है.

-सृष्टि में जब सात्विक तत्व यानी सद्गुण का पूरी तरह अंत हो जाएगा और सिर्फ तामसिक शक्तियां ही रह जाएंगी तब महाशिवरात्रि के दिन ही प्रदोष काल में शिवजी तांडव करेंगे. इससे रूद्रप्रलय होगा और पूरी सृष्टि का अंत हो जाएगा.

-इस तरह शिवरात्रि एक तरह से मानव जाति को स्मरण कराती रहती है कि सात्विक शक्तियों को जीवित रखो अन्यथा सृष्टि का नाश अवश्यंभावी है.

-प्रत्येक माह में शिवरात्रि की तिथि होती है लेकिन फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष त्रयोदशी को महाशिवरात्रि विशेष है.

-श्रावण मास शिवजी का प्रिय मास है इसलिए सावन की शिवरात्रि का भी विशेष महत्व है. यह तिथि भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित मानी गई है.

-सोमवार का दिन महादेव की आराधना का महत्वपूर्ण दिन होता है इसलिए यह तिथि अपने आप में ही श्रेष्ठ मानी जाती है.

अगले पेज पर पढ़ें सबसे सरल विधि से शिवरात्रि पूजा. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

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