[sc:fb]
सेठ के धन के लालच में सब बिल्ली की तो जी-जान से सेवा कर रहे थे लेकिन गाय माता की सबने उपेक्षा कर दी.
एक युवक को यह बात पसंद नहीं आई. उसने सोचा कि सेठ कितना मूर्ख है कि उसने अपनी शर्त में गाय की सेवा की बात न कही. वह अपने उत्तराधिकारी से एक बिल्ली की सेवा करवाना चाहता है!
ऐसे इंसान ने धन किस विधि जमा किया होगा कहना मुश्किल है.
इसलिए ऐसे व्यक्ति का उत्तराधिकारी तो मुझे नहीं बनना पर गोसेवा का असवर नहीं गंवाना चाहिए.
उसने बिल्ली की सेवा करने के स्थान पर गाय की पूरी लगन से खूब सेवा की.
उसे खिला पिला कर मोटा तन्दरुस्त किया. गाय ने भी सेवा के बदले खूब दूध दिया. सारे परिवार ने आनंद से दूध खाया और सारा परिवार भी तंदुरुस्त हो गया.
रही बात बिल्ली की तो वह उसके लिए सिर्फ आवश्यक भोजन करवाया. उतना ही जिससे वह जीवित रह सके.
रही दूध की बात तो वह उसके सामने जो दूध रखता वह खूब गर्म होता. बिल्ली लपककर दूध में मुंह डालती तो मुंह भी जलता. मुंह जलने से दुखी बिल्ली की दूध में मुंह डालने के लिए खूब पिटाई भी कर देता.
मुंह जलने और मार खाने दोनों ही वज़हों से बिल्ली दूध के नाम से ही डरने लग गई.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.