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उसने कहा- यह बड़े आश्चर्य की बात है कि पशु अपने वचन का इस प्रकार पालन कर रहे हैं. अपने अपना और परिवार का पेट भरने के लिए अनगिनत निरीह जानवरों की हत्या की है किंतु आप जैसे पवित्र जीवों की हत्या करते मेरे हाथ कांपते हैं.

गुरुद्रुह द्वारा दिन भर भूखा-प्यासा रहते चारों प्रहर अंजाने में ही सही लेकिन शिव की पूजा होने से शिवरात्रि का व्रत पूर्ण हो गया.

व्रत के प्रभाव से उसके पाप तत्काल भी समाप्त हो गए. आकाश से सभी देवता शिकारी और मृगों के बीच की चर्चा सुनकर प्रसन्न थे.

तभी शिवलिंग से भगवान शंकर प्रकट हुए. महादेव ने उन्हें आशीर्वाद दिया औऱ मोक्ष प्रदान किया.

इस प्रकार अंजाने में किए गए शिवरात्रि व्रत से भगवान शंकर ने शिकारी को मोक्ष प्रदान कर दिया. महादेव के दर्शन से हिरण परिवार भी मोक्ष को प्राप्त हुए.

महाशिवरात्रि की इस महान कथा को सुनने और किसी अन्य व्यक्ति को सुनाने से शिवजी की कृपा प्राप्त होती है.

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