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इस तरह रात के दूसरे प्रहर में उससे शिव की पूजा हो गई. इसी तरह एक और हिरणी रात्रि के तीसरे प्रहर में जल पीने आई.

शिकारी ने उसे मारने का प्रयत्न किया तो हिरणी ने कहा- यदि तुम मुझे मेरी हत्या का कोई उचित कारण बता सको तो मैं तुम्हारा शिकार बनने के लिए प्रस्तुत हूं.

शिकारी ने सारा हाल बताया कि वह और उसके बच्चे सुबह से भूखे हैं. पेट भरने के लिए उन्हें मांस चाहिए.

हिरणी ने कहा- परिवार के पालने के तुम्हारे बात से मैं संतुष्ट हूं और मैं तुम्हारा शिकार बनने को तैयार हूं किंतु जैसे तुम अपने बच्चों के लिए चिंतित हो उसी तरह मुझे भी अपने बच्चों की चिंता है.

मुझे रात भर का समय दे दो. मैं बच्चों को उनके पिता के भरोसे करके वापस आ जाऊंगी.

शिकारी दो शिकार गंवा चुका था इसलिए तैयार नहीं हो रहा था. उसने हिरणी के साथ चर्चा शुरू की.

वह हिरणी के उत्तर से बड़ा संतुष्ट हुआ. महादेव की कृपा से उसका मन भी निर्मल हो गया था इसलिए उसे तर्कसंगत बातें उचित लगीं.

हिरणी ने वापस लौटने का वचन दिया तो शिकारी ने उसे भी छोड़ दिया. उसने थोड़ा जल पीया और कुछ जल नीचे गिरा दिया.

फिर हताशा में बेल के पत्ते तोड़कर फेंकने लगा जो शिवलिंग पर गिरे. इस तरह तीसरे प्रहर में भी अंजाने में उससे शिवलिंग पूजा हो गई.

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