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प्रदोष काल में श्वेत वस्त्र धारण कर कुश के आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर बैठें.
सर्वप्रथम गंगाजल, पंचामृत और गुलाब-जल से इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए एक धार में स्नान कराएं-
‘ॐ भवम् देवम् तर्पयामि’,
ॐ सर्व देवम् तर्पयामि,
ॐ ईशान देवम् तर्पयामि,
ॐ पशुपति देवम् तर्पयामि,
ॐ रुद्र देवम् तर्पयामि,
ॐ उग्र देवम् तर्पयामि,
ॐ भीम देवम् तर्पयामि,
ॐ महान्तम् देवम् तर्पयामि!’
वस्त्रः
शिवजी का स्नान कराने के बाद ‘ॐ साम्ब सदा शिवाय नम:’ बोलते हुए वस्त्र दें.
तिलकः
‘ॐ नम: शिवाय कालाय नम:’ बोलते हुए केसर युक्त चन्दन का तिलक करें.
अक्षत-पुष्पः
‘ॐ नम: शिवाय कल विकरणाय नमो नम:’ से अक्षत और पुष्प अर्पित करें.
बेलपत्रः
तीन दल वाले पांच बेल-पत्र एक-एक मंत्र का उच्चारण कर शिवलिंग के ऊपर अर्पित करेः
‘ॐ आकाश तत्वम् पार्वती महेश्वराभ्याम् नम:
ॐ वायु तत्वम् सती महेश्वराभ्याम् नम:!
ॐ जल तत्वम् उमा महेश्वराभ्याम् नम:!
ॐ पृथ्वी तत्वम् प्रकृति तत्वाम् नम:!
ॐ अग्नि तत्वाम् महेश्वराभ्याम् नम:!
ॐ अग्नि तत्वाम् शक्ति महेश्वराभ्याम् नम:!’
धूपः
इसके बाद ‘ॐ नम: शिवाय भवोद्भवाय भूतद्मनाय नम:’ से धूप दिखाएं.
दीपः
‘ॐ नम: शिवाय मनोन्मनाय नम:! से दीप दिखाएं.
नैवैद्य-तांबुलः
‘ॐ नम: शिवाय!’ से नैवेद्य और जायफल चढ़ाएं. इसके बाद लौंग इलायची के साथ ताम्बूल यानी पान अर्पित करें.
पूजन के बाद शिव-शक्ति के स्वरूप का ध्यान करते हुए ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र की माला जाप कर एक माला शिव-गायत्री की भी जपें.
‘ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।’
मंत्र का जाप कर आरती और पुष्पांजलि अर्पित कर अनुष्ठान पूर्ण करना चाहिए.
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