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कई पोटलियों के रखने पर भी जब पलड़ा नहीं हिला तो व्यापारी ने कहा- सेठजी, मैंने विचार बदल दिया है. मैं अब पुण्य नहीं बेचना चाहता. व्यापारी खाली हाथ अपने घर की ओर चल पड़ा. उसे डर हुआ कि कहीं घर में घुसते ही पत्नी के साथ कलह न शुरू हो जाए.
जहां उसने कुतिया को रोटियां डाली थीं वहां से कुछ कंकड़-पत्थर उठाए और साथ में रखकर गांठ बांध दी.
घर पहुंचने पर पत्नी ने पूछा कि पुण्य बेचकर कितने पैसे मिले तो उसने थैली दिखाई और कहा इसे भोजन के बाद रात को ही खोलेंगे. इसके बाद गांव में कुछ उधार मांगने चला गया.
इधर उसकी पत्नी ने जबसे थैली देखी थी उसे सब्र नहीं हो रहा था. पति के जाते ही उसने थैली खोली.
उसकी आंखे फटी रह गईं. थैली हीरे-जवाहरातों से भरी थी. व्यापारी घर लौटा तो उसकी पत्नी ने पूछा कि पुण्यों का इतना अच्छा मोल किसने दिया? इतने हीरे-जवाहरात कहां से आए?
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God helps those who help themselves,at present every man running behind money so that every person decieveing each other
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