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बस फिर क्या था. भगवान शिव ने अपनी माया से एक देवी को उत्पन्न कर दिया. यह देवी बहुत ही मोटी थी.

पैरों में बड़ी-बड़ी मोटी-मोटी दरारें थीं. शरीर कुरूप. भगवान शिव ने कहा कि यही तुम्हारी ननद हैं. इनका नाम असावरी देवी है.

पार्वतीजी अपनी ननद को देखकर बड़ी खुश हुई. झटपट असावरी देवी के लिए भोजन बनाने लगीं.

असावरी देवी स्नान करके आईं और भोजन मांगने लगी. पार्वतीजी ने भोजन परोस दिया पर असावरी देवी भंडार में जो कुछ भी था सब चट कर गईं.

पार्वतीजी और महादेवजी के लिए खाने को कुछ भी नहीं बचा. इससे पार्वतीजी दुःखी हो गईं.

पार्वतीजी ने ननद को पहनने के लिए नए वस्त्र दिए लेकिन मोटी असावरी देवी के लिए वस्त्र छोटे पड़ गए.

पार्वतीजी परेशान हो गईं. पार्वतीजी को तो हंसी-ठिठोली के लिए ननद चाहिए थी.

ननद को मजाक सूझा और उन्होंने अपने पैरों की दरारों में पार्वती जी को छुपा लिया. पार्वतीजी का दम घुटने लगा.

महादेव ने जब असावरी देवी से पार्वती के बारे में पूछा तो असावरी देवी ने झूठ कह दिया कि वह नहीं जानती कि पार्वती कहां है. पार्वतीजी चाहती तो आ जातीं लेकिन ननद की ठिठोली समझकर दरारों में बैठी थीं.

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