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भूमि पर श्रीराम नाम लिखकर उसकी परिक्रमा कर प्रथम पूज्य घोषित हुए थे गणपति!

करुणासागर भगवान जीवों पर कृपा करके स्वयं उनको अपनाते हैं. संसार के विभिन्न प्रकार के कष्टों में पड़े जीवों को सही मार्ग पर लाने तथा उनके उद्धार के लिए विभिन्न लीलाएँ किया करते हैं।

अपने आचरण से भक्ति का मंगलमय मार्ग दिखलाते हैं. ऐसे ही लीला रूपों में एक रूप है श्री गणेशजी का सभी आराधनाओं एवं मंगलकार्यों में प्रथमपूज्य माने जाते हैं। श्री गणेश के प्रथमपूज्य होने की अनेक कथाएँ मिलती हैं।

भगवान गणपति रुद्रगणों के अधिपति हैं, अतः उनकी प्रथम पूजा करने से कार्य निर्विघ्न समाप्त होता है। उस कार्य में रुद्रगण कोई विघ्न उपस्थित नहीं करते। सृष्टि के आरंभ में जब यह प्रश्न उठा कि प्रथमपूज्य किसे माना जाए, तब सभी देवता ब्रह्माजी के पास गए।

ब्रह्मा जी ने कहा पूरी पृथ्वी की परिक्रमा जो सबसे पहले कर ले वही प्रथम पूज्य माना जाए।सब देवता अपने-अपने वाहनों पर बैठकर प्रदक्षिणा के लिए चल पड़े। गणेशजी का शरीर स्थूल है, वे लंबोदर हैं और उनका वाहन है चूहा। अनेक देवताओं के वाहन पक्षी हैं।
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