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सोचें कितनी बड़ी बात कही महात्माजी ने. आपकी क्या कीमत है उसे सही-सही पहचानने वाला नहीं मिला. जैसे पारस पत्थक साग बेचने वाले के लिए बस कुछ मूली के बराबर मोल का था.
बनिए के लिए एक रूपए और सुनार के लिए हजार रुपए की कीमत वाला जबकि राजा अपना पूरा राज-पाट इसके बदले देने को राजी हो गया.
भगवान का नाम सर्वश्रेष्ठ है और आप यदि भगवान के बताए मार्ग पर चल रहे हैं तो उनके प्रिय भक्त. भगवान के प्रियभक्त का मोल समझ लेना किसी ऐरे गैरे के बस की बात तो है नहीं.
यदि आप सत्य के मार्ग पर हैं और कोई आपकी कद्र नहीं कर रहा तो कमी आपमें नहीं है, कमी तो उसमें है जिसे आपका मोल नहीं पता. वह आपके योग्य नहीं. कोई आपको नहीं पहचान पा रहा तो आप हताश न हों, बल्कि पहले से ज्यादा नेककार्य आरंभ कर दें.
आप सही मार्ग पर चल रहे हैं, किसी का अहित नहीं करते, किसी से द्वेष नहीं रखते, शत्रुता नहीं रखते तो आप ही ईश्वर के प्रिय अनुचर हैं. स्वयं से प्रेम कीजिए. अपना मोल पहले आप तो समझिए, संसार तो बाद में समझेगा.
आपके लिए आप बहुत अहम है फिर संसार. परंतु ऐसा सोचने का अधिकार केवल उनको ही प्राप्त है जो सचमुच ईश्वर के मार्ग पर हैं. जिनमें सच्चाई, सद्भाव, दया और क्षमाशीलता जैसे गुण हैं. यदि इऩ गुणों से विहीन होकर यह भावना रखेंगे तो सावधान करता हूं, ईश्वर आपको कभी फलते नहीं देख सकते.
आप यदि अवगुणों से भरे किसी व्यक्ति को बहुत फलते-फूलते देख रहे हैं तो निराश न हों. आपको नहीं पता कि अंदर से वह कितना भयभीत कितना खोखला है. वह तो पूर्वजन्म के संचित पुण्यकर्मों के बैंक बैलेस में से दोनों हाथ उड़ा रहा है. जिस दिन वह बैलेंस समाप्त हुआ उसका बुरा हश्र होगा.
बुरी राह पर चलने वाले लोगों की संताने क्यों दुखी रहती हैं. माता-पिता के पूर्वजन्म से संचित कर्मों से बच्चों को अंश मिलता है. अब पापी उस बैंलेस को लुटा रहा है तो बच्चों के लिए बचाएगा ही क्या. इसी कारण उनकी संतानें कष्ट भोगती हैं.
भगवान के नाम का प्रभाव और उसका रहस्य जब तक हम नहीं समझेंगे तब तक किसी भी शिक्षा का कोई मोल नहीं.
आत्मबोध करें. दूसरों के ज्ञान और उपदेश को ग्रहण करें, कहीं ऐसा न हो कि किसी अभिमान में आप ऐसे जौहरी को ठुकरा रहे हों जो आपमें पारस देखता है. यदि यह बात सही लगी हो और आपका आत्मविश्वास बढ़ा हो तो एक विनती है. इस पोस्ट को फेसबुक पर शेयर कर दें.
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संकलन व संपादनः राजन प्रकाश
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