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राजा को उसकी बात समझ में आ गई. उसने उन सभी स्थानों पर गणेशजी की प्रतिमा भी लगवाई जहां लक्ष्मीजी थीं. लक्ष्मीजी से पहले गणेशजी की पूजा आरंभ हुई. सारीप्रजा को भी यह बात बताई गई. कहते हैं तभी से लक्ष्मी के साथ गणेशजी की पूजा शुरू हुई.
लक्ष्मी-गणेश की पूजा साथ-साथ इस घटना के बाद हुई हो या न हो लेकिन यह तो सच है कि सुख से जीवन बिताने के लिये धन जितना जरूरी है उतना ही जरूरी है उस धन के सही प्रयोग का ज्ञान, अन्यथा धन व्यर्थ है.
वह धन में प्रमाद, व्यस्न और समस्त ऐसे कर्मों की ओर प्रेरित करेगा जिससे धन और मान दोनों का नाश हो. मान-सम्मान मुद्रा से भी बड़ा धन है. (स्रोत: जनश्रुति)
संकलनः सीमा श्रीवास्तव
संपादनः राजन प्रकाश
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