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युवक जब पूरी तरह से संकल्पित होकर राजी हो गया तो महात्माजी ने पूछा-अब बताओ तुम्हें क्या चाहिए?

युवक बोला- मेरी एक ही ख्वाहिश है कि मैँ हीरों का प्रसिद्ध व्यापारी बनना चाहता हूं.

महात्माजी ने कहा- तुम अवश्य बन सकते हो. क्या तुम्हारे पास एक भी हीरा है? हीरे के कारोबार के बारे में कुछ भी जानते हो?

युवक ने ना में सिर हिलाया तो महात्माजी ने कहा- कोई बात नहीँ मैँ तुम्हें एक हीरा और एक मोती देता हूं. उससे तुम जितने भी हीरे और मोती बनाना चाहोगे बना पाओगे.

युवक तो इतना प्रसन्न हुआ जैसे वह उछल ही पड़े. उसे लगा कि महात्माजी की झोली में कोई चमत्कारी रत्न पड़ा हो. ऐसे सिद्ध महात्माओं के पास होते हैं ऐसे कीमती रत्न. साधू के लिए उसका क्या मोल. अब मेरे काम आएगा.

वह इसी कल्पना में डूबा मन ही मन बड़ा व्यापारी जैसे महसूस कर रहा था कि महात्माजी ने अचानक उसके सारे सपनों पर पानी फेर दिया.

महात्माजी ने युवक की दायीं हथेली को पकड़ा और उस पर कुछ रखने का स्वांग करते हुए कहा- पुत्र, मैं तुम्हें दुनिया का सबसे अनमोल हीरा दे रहा हूं. लोग इसे ‘समय’ कहते हैं.

इसे कसके अपनी मुट्ठी में पकड़ लो और इसका एक पल भी मत गंवाना. यदि तुमने इसे नहीं गंवाया तो तुम इससे जितने चाहो उतने हीरे बना सकते हो.

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4 COMMENTS

    • आपके शुभ वचनों के लिए हृदय से कोटि-कोटि आभार.
      आप नियमित पोस्ट के लिए कृपया प्रभु शरणम् से जुड़ें. ज्यादा सरलता से पोस्ट प्राप्त होंगे और हर अपडेट आपको मिलता रहेगा. हिंदुओं के लिए बहुत उपयोगी है. आप एक बार देखिए तो सही. अच्छा न लगे तो डिलिट कर दीजिएगा. हमें विश्वास है कि यह आपको इतना पसंद आएगा कि आपके जीवन का अंग बन जाएगा. प्रभु शरणम् ऐप्प का लिंक? https://goo.gl/tS7auA

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