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उसने उस बालक को भी पुत्र के सामने पालने का निर्णय किया. ब्राह्मणी के आ जाने से भगवान शिव अदृश्य हो गए थे. उन्होंने एक भिक्षु का रूप धरा और वहां प्रकट हुए.

भिक्षुक वेषधारी भगवान ने कहा- यह शिवभक्त महाराजा सत्यरथ का पुत्र है. इसके पिता को शत्रुओं ने मार डाला और माता प्रसव के बाद ग्राह का ग्रास बन गई. तुम इसका पालन अपने पुत्र जैसा करो.

पूर्वजन्म में इसने प्रदोषकाल में बिना शिवजी की पूजा किए ही भोजन कर लिया था. इस कारण इस जन्म में इसे माता-पिता से विहीन होना पड़ा. यह बालक बड़ा शिवभक्त होगा.

ब्राह्मणी को उपदेश देने के बाद भोलेनाथ ने उसे वास्तविक रूप में दर्शन देकर कृतार्थ किया. उस स्त्री ने उनकी स्तुति की और पालन का वचन दिया. दोनों बच्चों का वह पालन करने लगी.
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