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अब आदमी ने चौथी स्त्री से भी वही प्रश्न किया- तुम्हारा नाम क्या हैं? उसने अपना नाम “तंदुरूस्ती” बताया.
आदमी ने तंदुरुस्ती के निवास स्थान के बारे में पूछा. तंदुरुस्ती ने बताया कि वह मनुष्य के पेट में रहती है.
चारों से बात विचार के बाद वह आदमी आगे बढ़ा. थोड़ा आगे जाने पर उसे उसी वन में उसे चार पुरूष खड़े मिले.
चारों का रूप और स्वभाव ऐसा था जिसे देखकर मन को शोक होता था. वह आदमी उन्हें देखकर ठिठका लेकिन फिर हिम्मत करके उनके पास पहुंचा.
उसने पहले पुरूष से पूछा- भाई तुम्हारा नाम क्या है? उसने उग्र स्वर में उत्तर दिया-मेरा नाम “क्रोध” है.
तुम कहां रहते हो?- आदमी ने पूछ लिया. क्रोध ने कहा कि वह मनुष्य के दिमाग में रहता है.
तब उस आदमी ने कहा- लेकिन मुझे “बुद्धि” मिली थी. उसने कहा कि दिमाग में तो वह रहती है, फिर तुम कैसे रहते हो?
क्रोध ने बताया- जब मैं दिमाग में रहना शुरू कर देता हूं तो बुद्धि वहां से विदा हो जाती हैं.
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