हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[sc:fb]
ब्रह्मा ने मनुष्य का एकांत मिटाने के लिए संसार की और सारी वस्तुएं बना दीं. ब्रह्मा की रचना को देखकर प्राण युक्त उस मानव शरीर को आभास हुआ यह काम तो मेरे बस का नहीं.
जरूर कोई ऐसी शक्ति है जो मुझसे ज्यादा समर्थवान है.
मानव शरीर ने सोचा- भले ही वह शक्ति अदृश्य है लेकिन अलौकिक है. रोम-रोम में है और सर्वशक्तिमान है. ऐसा विचार आते ही उसने महसूस किया कि परमात्मा को देख लिया है. इस जगत का कर्ता-धर्ता ईश्वर हैं.
अब ब्रह्मा संतुष्ट हो गए और उन्होंने मनुष्य को अपना जीवन आगे बढ़ाने के लिए छोड़ा फिर अन्य कार्यों में लग गए.
सोचिए अगर कुछ मंत्र बोल देने, या देख लेने, छू लेने, सूंघ लेने से मनुष्य का पेट भर जाता तो संसार वहीं ठप्प हो जाता. ब्रह्मा का उद्देश्य कहां पूरा होता. (वेद की कथा)
परमात्मा को जानने और उसे प्राप्त करने का सौभाग्य सिर्फ मानव शरीर को मिला है. परमात्मा की इस कृति का सदुपयोग उनका नाम जपकर हो सकता है. प्रभु शरणम् की मूल विचारधारा यही है.
संकलन व संपादनः राजन प्रकाश
अब आप बिना इन्टरनेट के व्रत त्यौहार की कथाएँ, चालीसा संग्रह, भजन व मंत्र , श्रीराम शलाका प्रशनावली, व्रत त्यौहार कैलेंडर इत्यादि पढ़ तथा उपयोग कर सकते हैं.इसके लिए डाउनलोड करें प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प.
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
ये भी पढ़ें-
विवाह में आपने मांगलिक दोष का जिक्र सुना होगा. क्या है मांगलिक दोष,और दोष दूर करने के सरल उपाय
किस राशि के लड़कों के लिए किस राशि विशेष की लड़की साबित होती है ज्यादा लकी- ज्योतिषीय अनुमान
ये है वशीकरण का अचूक मंत्र: जिसको चाहें कर ले वश में
पार्वतीजी का शिवजी से प्रश्नः करोड़ों करते हैं गंगास्नान, फिर स्वर्ग में क्यों नहीं मिलता सबको स्थान?